मुंबई, 23 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत लगातार जारी है और दोनों देशों के बीच किसी तरह का विवाद नहीं है। नई दिल्ली में आयोजित इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में उन्होंने कहा कि भारत किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखकर ही फैसले लेता है। रूसी तेल खरीद पर पूछे गए सवाल पर जयशंकर ने साफ किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए ही निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी देश को भारत से तेल खरीदने में दिक्कत है तो वह न खरीदे, क्योंकि भारत किसी को मजबूर नहीं कर रहा।
व्यापार और टैरिफ विवाद पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी स्थिति स्पष्ट रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत अपने संबंधों में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि जब संघर्ष की स्थिति होती है, तो देश आपस में बातचीत करते हैं, और यह स्वाभाविक है कि दूसरे देशों के फोन कॉल आते हैं। लेकिन यह कहना गलत होगा कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई समझौता बाहरी दबाव से हुआ। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से रिश्ते रहे हैं और दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी ओसामा बिन लादेन 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपा हुआ मिला था। जयशंकर के मुताबिक, अमेरिका कई बार पाकिस्तान से जुड़े अपने पुराने अनुभवों को भूल जाता है, जबकि भारत हमेशा इस पर नजर रखता है कि भारत-अमेरिका रिश्तों की प्रासंगिकता कितनी मजबूत बनी हुई है।
ट्रम्प पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि अब तक किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने विदेश नीति को उस तरीके से नहीं चलाया जैसा डोनाल्ड ट्रम्प चला रहे हैं। उन्होंने इसे एक बड़ा बदलाव बताया, जो केवल भारत तक सीमित नहीं बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। हाल ही में ट्रम्प के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे महंगे दामों पर बेचकर मुनाफाखोरी कर रहा है। उनका कहना था कि इससे रूस को युद्ध के लिए धन मिलता है और भारत फायदा उठाता है। नवारो ने यह भी कहा कि भारत को अमेरिकी बाजार से मिलने वाले पैसों से रूसी तेल खरीदना गलत है, और इसीलिए भारत पर टैरिफ लगाना जरूरी है।
ट्रम्प सरकार ने इसी तर्क के आधार पर भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा। इससे पहले जुलाई में भी अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया था, जिसके बाद भारतीय सामान के आयात पर अमेरिका में कुल 50% शुल्क देना पड़ेगा। भारत इस समय चीन के बाद रूस से कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत का रूस से तेल आयात नगण्य था, लेकिन युद्ध के बाद यह तेजी से बढ़ गया। 2023 में भारत ने रोजाना 20 लाख बैरल से अधिक तेल खरीदा, जबकि 2025 के शुरुआती सात महीनों में यह औसतन 17.8 लाख बैरल प्रतिदिन रहा। पिछले दो वर्षों में भारत ने हर साल 130 अरब डॉलर से अधिक का रूसी तेल खरीदा है।