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Himalayan Yoga Glow — हिमालय की शुद्ध परंपरा, विश्व-स्तरीय स्किनकेयर विज्ञान।

Leafoberryy ने भारत के ब्यूटी सेक्टर में एक बड़ा बदलाव लाते हुए पेश किया है भारत का पहला Himalayan Yoga Glow, एक ऐसाअनोखा फ़ॉर्म्यूलेशन, जो हिमालयी पर्वतों की प्राचीन सौंदर्य परंपराओं को आधुनिक स्किनकेयर साइंस की सटीकता के साथ जोड़ता है।

इस क्रांतिकारी निर्माण के केंद्र में हैं गज़ल कोठारी, Leafoberryy की फ़ाउंडर, सर्टिफाइड फ़ॉर्म्युलेटर और दूरदर्शी इनोवेटर। परंपरा और तकनीक केसुंदर मेल के लिए जानी जाने वाली गज़ल ने वर्षों तक वैश्विक ब्यूटी रिचुअल्स, पर्वतीय वनस्पतियों और योग व मेडिटेशन से प्रेरित स्किन-सूथिंगथेरेपीज़ का अध्ययन किया है। उनका उद्देश्य सरल परंतु क्रांतिकारी था, ऐसी स्किनकेयर बनाना जो हिमालय की शांति और माइंडफुल लिविंग कीचमक को रोज़मर्रा की भारतीय त्वचा तक पहुंचाए।

Himalayan Yoga Glow को वास्तव में पाथ-ब्रेकिंग बनाता है उसका इनग्रीडिएंट हेरिटेज। Leafoberryy तिब्बत से दुर्लभ बॉटैनिकल कंसंट्रेट्सप्राप्त करता है Read more...

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वायरल '12-3-30' वर्कआउट: वज़न घटाने, सहनशक्ति और मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्यों है ख़ास?

मुंबई, 26 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) सोशल मीडिया पर इन दिनों '12-3-30' वर्कआउट ने धूम मचा रखी है, जिसे सेलिब्रिटी फिटनेस एक्सपर्ट और यूट्यूबर लॉरेन गिराल्डो ने लोकप्रिय बनाया है। फिटनेस विशेषज्ञों के अनुसार, यह साधारण लेकिन प्रभावी ट्रेडमिल रूटीन सिर्फ वज़न घटाने से कहीं अधिक है—यह कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति (Endurance) और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। यह वर्कआउट खासकर उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो दौड़ने से बचना चाहते हैं या जिन्हें जोड़ों की समस्या है।

क्या है 12-3-30 वर्कआउट?

यह रूटीन ट्रेडमिल पर किए जाने वाले तीन आसान स्टेप्स पर आधारित है:

12: ट्रेडमिल का इनक्लाइन (ढलान) स्तर 12% पर सेट करें।

3: गति (स्पीड) को 3 मील प्रति घंटा (लगभग 4.8 किमी/घंटा) पर रखें।

30: इस सेटिंग पर 30 मिनट तक लगातार चलें।

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सेहतमंद रहने के लिए सर्दियों में जल्दी खाएं रात का खाना, ब्लड शुगर और फैट बर्निंग पर पड़ता है बड़ा असर: रिसर्च

मुंबई, 24 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) सर्दियां आते ही दिन छोटे हो जाते हैं और रातें लंबी। इस मौसम में हमारे शरीर की प्राकृतिक लय (Natural Rhythm) बदल जाती है, और हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रात के खाने का समय (Dinner Timing) आपकी सेहत, वजन और नींद पर बहुत गहरा असर डालता है।

क्रोनोन्यूट्रिशन (Chrononutrition) नामक शोध के क्षेत्र में बढ़ती रिसर्च बताती है कि हम क्या खाते हैं, इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम किस समय खाते हैं।

शरीर की आंतरिक घड़ी और मेटाबॉलिज्म

हमारा शरीर सर्केडियन लय (Circadian Rhythms) नामक एक 24 घंटे की आंतरिक घड़ी पर काम करता है, जो नींद, पाचन और मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को नियंत्रित करती है।

यह लय प्राकृतिक रूप से रोशनी और अंधेरे के साथ तालमेल बिठाती है।

सर्दियों में जब दिन जल्दी ढलता है, तो रोशनी कम होने के कारण हमारा मेटाबॉलिज्म भी धीरे-धीरे धीमा होने लगत Read more...

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कोआला का अनोखा 'ब्रेकअप प्लान': अस्वीकृति मिलने पर गुस्सा नहीं, बल्कि तुरंत सो जाते हैं! 🐨💤

मुंबई, 26 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) प्यार में अस्वीकृति (rejection) मिलने पर इंसान उदास होते हैं, गुस्सा करते हैं या अकेलेपन में खो जाते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई जानवर कोआला (Koalas) का तरीका बिल्कुल अलग और वैज्ञानिक है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, जब संभोग के मौसम (mating season) के दौरान नर कोआला को मादा द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, तो वे उदास होने या लड़ने के बजाय तुरंत सोने चले जाते हैं।

ऊर्जा संरक्षण है मुख्य कारण

यह व्यवहार हास्यास्पद लग सकता है, लेकिन यह कोआला की जीवनशैली और उनके ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) के कठोर नियम से जुड़ा हुआ है।

पोषण की कमी वाला आहार: कोआला का आहार लगभग पूरी तरह से यूकेलिप्टस के पत्तों पर निर्भर करता है, जिनमें पोषक तत्व (nutrients) बहुत कम होते हैं और वे रेशेदार विषाक्त यौगिकों (fibrous toxins) से भरपूर होते हैं।

धीमा चयापचय (Slow Metabolism): इस मुश् Read more...

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30 की उम्र में हम अपने माता-पिता की आदतों को क्यों दोहराते हैं? आप भी जानें क्या कहता है मनोविज्ञान

मुंबई, 25 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) क्या आपने कभी खुद को पुराने प्लास्टिक के डिब्बे धोते हुए, अमेज़न के खाली बॉक्स सहेजते हुए, या अपने माता-पिता की तरह 'फालतू' खर्च पर तुरंत लाइट बंद करते हुए पकड़ा है? जिस आदत पर आप बचपन में हँसते थे, 30 की उम्र (Midlife) आते-आते वही आदतें खुद में देखकर हैरान मत होइए। मनोविज्ञान कहता है कि ऐसा होने के पीछे एक गहरा कारण है।

📦 चीज़ें सहेजने की आदत

परामर्शदाता गौरव सोलंकी जैसे कई लोग मानते हैं कि वे बचपन में माता-पिता के हर प्लास्टिक के डिब्बे, पुराने बोतल या अखबार सहेजने पर हँसते थे, लेकिन अब वे खुद 'अच्छी क्वालिटी' के कहकर अमेज़न के डिब्बों या प्रीमियम पेपर बैग्स का ढेर लगाते हैं।

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि यह प्रवृत्ति केवल भौतिक चीज़ों तक सीमित नहीं है; यह अब डिजिटल क्लटर (Digital Clutter) जैसे कि सैकड़ों स्क्रीनशॉट, बच्चे की तस्वीरें, और ऐसे वीडियो को फोन में सहेजने के रूप Read more...

मेरा गाँव मेरा देश

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