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Himalayan Yoga Glow — हिमालय की शुद्ध परंपरा, विश्व-स्तरीय स्किनकेयर विज्ञान।

Leafoberryy ने भारत के ब्यूटी सेक्टर में एक बड़ा बदलाव लाते हुए पेश किया है भारत का पहला Himalayan Yoga Glow, एक ऐसाअनोखा फ़ॉर्म्यूलेशन, जो हिमालयी पर्वतों की प्राचीन सौंदर्य परंपराओं को आधुनिक स्किनकेयर साइंस की सटीकता के साथ जोड़ता है।

इस क्रांतिकारी निर्माण के केंद्र में हैं गज़ल कोठारी, Leafoberryy की फ़ाउंडर, सर्टिफाइड फ़ॉर्म्युलेटर और दूरदर्शी इनोवेटर। परंपरा और तकनीक केसुंदर मेल के लिए जानी जाने वाली गज़ल ने वर्षों तक वैश्विक ब्यूटी रिचुअल्स, पर्वतीय वनस्पतियों और योग व मेडिटेशन से प्रेरित स्किन-सूथिंगथेरेपीज़ का अध्ययन किया है। उनका उद्देश्य सरल परंतु क्रांतिकारी था, ऐसी स्किनकेयर बनाना जो हिमालय की शांति और माइंडफुल लिविंग कीचमक को रोज़मर्रा की भारतीय त्वचा तक पहुंचाए।

Himalayan Yoga Glow को वास्तव में पाथ-ब्रेकिंग बनाता है उसका इनग्रीडिएंट हेरिटेज। Leafoberryy तिब्बत से दुर्लभ बॉटैनिकल कंसंट्रेट्सप्राप्त करता है Read more...

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डर्मेटोलॉजिस्ट की चेतावनी: हेयर ग्रोथ गमीज़ से दूर रहने की क्यों है सलाह? आप भी जानें

मुंबई, 1 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) बालों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए बाज़ार में इन दिनों हेयर ग्रोथ गमीज़ (chewable hair gummies) का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। ये स्वादिष्ट और चबाने में आसान होते हैं, लेकिन त्वचा विशेषज्ञ (Dermatologists) बिना डॉक्टरी सलाह के इन्हें रोज़ाना लेने के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बालों के झड़ने का इलाज केवल सप्लीमेंट्स से नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके मूल कारण (root cause) को समझना ज़रूरी है।

ज़्यादातर हेयर गमीज़ में मुख्य रूप से बायोटिन के साथ विटामिन ए, सी, ई और ज़िंक जैसे मल्टीविटामिन्स होते हैं। डर्मेटोलॉजिस्ट इस बात पर ज़ोर देते हैं कि बायोटिन केवल उन लोगों के लिए प्रभावी साबित होता है, जिनके शरीर में पहले से बायोटिन की कमी हो। स्वस्थ व्यक्तियों में बायोटिन के उपयोग को लेकर वैज्ञानिक साक्ष्य सीमित हैं। इन गमीज़ पर निर्भर रहना किसी गंभीर पोषण की कमी (जैसे प्रोटीन, आयरन या वि Read more...

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नाश्ते में रोज़ ब्रेड-ऑमलेट खाना कितना सेहतमंद? जानें विशेषज्ञों की राय

मुंबई, 1 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) ब्रेड-ऑमलेट भारत में सबसे लोकप्रिय और झटपट तैयार होने वाले नाश्ते में से एक है। यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा मेल है जो दिन की शुरुआत के लिए ऊर्जा प्रदान करता है, लेकिन इसे रोज़ाना खाने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे तैयार किया गया है और किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए तो यह कॉम्बिनेशन सेहत के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है।

अंडे के पोषण संबंधी लाभ

पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, अंडा अपने आप में एक पोषण का पावरहाउस है। यह उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, विटामिन बी12, डी और कोलीन जैसे आवश्यक तत्वों से भरपूर होता है। सुबह के नाश्ते में अंडा खाने से मांसपेशियों के विकास, मेटाबॉलिज्म (चयापचय) में सुधार और मस्तिष्क के कार्य को समर्थन मिलता है। अंडे मे Read more...

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कोआला का अनोखा 'ब्रेकअप प्लान': अस्वीकृति मिलने पर गुस्सा नहीं, बल्कि तुरंत सो जाते हैं! 🐨💤

मुंबई, 26 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) प्यार में अस्वीकृति (rejection) मिलने पर इंसान उदास होते हैं, गुस्सा करते हैं या अकेलेपन में खो जाते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई जानवर कोआला (Koalas) का तरीका बिल्कुल अलग और वैज्ञानिक है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, जब संभोग के मौसम (mating season) के दौरान नर कोआला को मादा द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, तो वे उदास होने या लड़ने के बजाय तुरंत सोने चले जाते हैं।

ऊर्जा संरक्षण है मुख्य कारण

यह व्यवहार हास्यास्पद लग सकता है, लेकिन यह कोआला की जीवनशैली और उनके ऊर्जा संरक्षण (energy conservation) के कठोर नियम से जुड़ा हुआ है।

पोषण की कमी वाला आहार: कोआला का आहार लगभग पूरी तरह से यूकेलिप्टस के पत्तों पर निर्भर करता है, जिनमें पोषक तत्व (nutrients) बहुत कम होते हैं और वे रेशेदार विषाक्त यौगिकों (fibrous toxins) से भरपूर होते हैं।

धीमा चयापचय (Slow Metabolism): इस मुश् Read more...

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141 साल तक जीने वाली कछुए की मौत, आप भी जानिए इस असाधारण लंबी उम्र का राज

मुंबई, 28 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) दुनिया के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले जीवों में से एक, गैलापागोस कछुए 'ग्रैम्मा' का 141 साल की उम्र में निधन हो गया है। अमेरिका के सैन डिएगो चिड़ियाघर (San Diego Zoo) की सबसे उम्रदराज़ निवासी ग्रैम्मा ने 20 नवंबर को अंतिम साँस ली।

दो विश्व युद्धों की साक्षी
  • उम्र: ग्रैम्मा की अनुमानित उम्र 141 साल थी। इस दौरान उसने दो विश्व युद्ध और लगभग 20 अमेरिकी राष्ट्रपतियों का शासन देखा।
  • चिड़ियाघर में आगमन: जू अधिकारियों के मुताबिक, ग्रैम्मा 1928 या 1931 के आसपास ब्रोंक्स जू से गैलापागोस कछुओं के पहले समूह के हिस्से के रूप में सैन डिएगो जू में आई थी।
  • 'जू की रानी': अपने प्यारे और शर्मीले व्यक्तित्व के कारण वह जू में आने वाले लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थी और उसके केयर स्पेशलिस्ट उसे प्यार से "जू की रानी" कहकर पुकारते थे।
  • निधन का कारण: जू की ओर से जारी बयान म Read more...

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