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बाबिल खान की फिल्म लॉगआउट का ट्रेलर रिलीज़ हुआ

दिवंगत अभिनेता इरफान खान के बेटे बाबिल खान ने इंडस्ट्री में अपने लिए जगह बना ली है। डेब्यू फिल्म 'कला' से ही उन्होंने दर्शकों के बीच खासजगह बना ली। 'द रेलवे मेन' में भी उनकी तारीफ हुई। एक्टर इन दिनों फिल्म 'लॉगआउट' को लेकर चर्चा में हैं। यह फिल्म ओटीटी पर रिलीज होगी, फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चूका है।

फिल्म 'लॉगआउट' का विषय ऐसा है, जो जेन-जी (Gen Z) से सीधे तौर पर जुड़ा है। यह टेक फिल्म है। फिल्म में बाबिल एक ऐसे युवा की भूमिकामें हैं, जिसके लिए उसका मोबाइल ही पूरी दुनिया है। वह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर है। उसे यह भ्रम है कि पूरी दुनिया वह चलाता है। मगर, एकदिन अचानक उसका फोन गुम जाता है और उसकी पूरी दुनिया ही गुम जाती है।

बाबिल खान ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए फिल्म 'लॉगआउट' के ट्रेलर की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है, 'हम जो कंज्यूम करते हैं और जो हमें कंज्यूमकरता है, उसके बीच की रेखाएं धुंधली होने वाली हैं'। फिल्म 'लॉगआउट' Read more...

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NEET के बाद UPPSC परीक्षा में भी संकट: रिश्वतखोरी के आरोपों से परीक्षा की ईमानदारी पर सवाल, जांच जारी

उत्तर प्रदेश में पीसीएस न्यायिक परीक्षा में धांधली हुई थी। मुख्य परीक्षा में 50 उत्तर पुस्तिकाएं बदल दी गई थीं। यूपी लोक सेवा आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में माना कि परीक्षा में धांधली हुई थी। आयोग पर पीसीएस उत्तर पुस्तिकाएं बदलने और रिश्वत के बदले अभ्यर्थियों को पास करने के आरोप हैं।यूपी में अधीनस्थ न्यायालयों में जजों की नियुक्ति पीसीएस न्यायिक परीक्षा के जरिए होती है। यूपी लोक सेवा आयोग ने कोर्ट में माना कि गलत कोडिंग करके उत्तर पुस्तिकाएं बदली गई थीं।

इस घटना में तीन जूनियर अफसरों को निलंबित कर दिया गया। हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 8 जुलाई को है।उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस जे अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका बदलने के कथित मामले में पांच अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। यूपीपीएससी सचिव अशोक कुमार ने बताया कि जांच में लापरवाही बरतने पर अनुभाग अधिकारी शिवशंकर, समीक्षा अधिकारी नीलम शुक्ला और सहायक समीक्षा अधिकारी भगवती देवी को निलंबित कर दिया गया है।

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मोहन आलोक और हरिवंश राय बच्चन - साहित्यिक बंधन जो फेम से परे था

2024 खत्म होने को है और नया साल आ रहा है, हम एक नई श्रृंखला की शुरुआत कर रहे हैं, जो भारत के दिल से जुड़े उन साहित्यिक सितारों कोसमर्पित है, जिन्होंने डिजिटल फेम का पीछा नहीं किया, लेकिन अपनी कविताओं, कथाओं और लोककथाओं के माध्यम से साहित्य को एक नईऊँचाई तक पहुँचाया। इनमें से एक महान नाम है मोहन आलोक, जो हाल ही में हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी साहित्यिक धरोहर आज भी जीवितहै। राजस्थान के इस प्रख्यात कवि और कहानीकार ने अपने शब्दों से राजस्थान की संस्कृति को नए सिरे से जीवित किया और अनगिनत किताबों केरूप में अमिट छाप छोड़ी।

मोहन आलोक का काम डिजिटल युग के शोर से परे था। उन्हें सोशल मीडिया की जरूरत नहीं थी, क्योंकि उनकी कविताएँ अपने आप में पूरी थीं।उनका प्रसिद्ध कविता संग्रह 'G-geet' उन्हें 1983 में केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार दिलाने में सफल रहा। रचनात्मकता की दिशा में उनकी राह मेंहमेशा एक अडिग मार्गदर्शक रहे—हरिवंश राय बच्चन। मोहन आल Read more...

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