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बाजार में बढ़त जारी, सेंसेक्स और निफ्टी सीधी चाल से हरे निशान पर बंद

शेयर बाजार आज फिर बढ़त के साथ बंद हुआ है। हालांकि अभी भी गति कल जितनी नहीं है, फिर भी यह राहत देने वाली बात है कि बाजार हरे निशान पर बंद हो रहा है। यह बढ़त इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज बाजार में गिरावट की आशंका थी। दरअसल, कल अमेरिकी बाजार लाल था, जिसका असर भारतीय बाजार पर पड़ने की संभावना थी। इसका बाजार पर कुछ असर जरूर पड़ा, लेकिन अच्छी बात यह रही कि भारतीय बाजार अमेरिका की तरह लाल निशान में बंद नहीं हुआ।

ऐसा था प्रदर्शन
शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव रहा, लेकिन कारोबार के अंत तक यह हरे निशान पर लौट आया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 147.79 अंक उछलकर 75,449.05 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 73.30 अंक मजबूत होकर 22,907.60 अंक पर बंद हुआ। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों में टाटा स्टील आज सबसे अधिक 2.58% की बढ़त हासिल करने में सफल रही। इसके बाद ज़ोमैटो और पावर ग्रिड का नंबर था। अडानी पोर्ट्स भी 1% से अधिक की बढ़त के साथ बंद Read more...

ये हैं भारत के 10 सबसे अमीर मंदिर, दौलत इतनी की अंबानी-अदाणी भी खा सकते हैं मात; नंबर 1 पर साउथ का ये टेंपल

भारत, जिसे अक्सर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं की भूमि कहा जाता है, अपने भव्य और प्राचीन मंदिरों के लिए विश्व भर में विख्यात है। ये पूजा स्थल न केवल गहरी आस्था के केंद्र हैं, बल्कि विशाल आर्थिक शक्ति के भंडार भी हैं। देश के कुछ प्रमुख मंदिरों के पास जमा धन और संपत्ति इतनी अधिक है कि अगर उन्हें मिला दिया जाए तो वे भारत के सबसे धनी उद्योगपतियों, जैसे मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी की व्यक्तिगत संपत्ति को भी टक्कर दे सकते हैं। यह लेख भारत के ऐसे ही शीर्ष 10 सबसे अमीर मंदिरों पर एक नज़र डालता है, जो धार्मिक महत्व और वित्तीय समृद्धि का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं:

तिरुमाला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश: यह मंदिर दुनिया के सबसे अमीर धार्मिक संस्थानों में से एक है। इसकी कुल संपत्ति लगभग ₹3 लाख करोड़ ($36 बिलियन से अधिक) आंकी गई है। इस विशाल संपत्ति में मार्च 2024 तक लगभग ₹18,817 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट, सोने और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। मंदिर को सालाना दान से होने Read more...

90 दिन की राहत से यूएस स्टॉक मार्केट में जबरदस्त उछाल, भारत के लिए क्या संकेत?

एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों को लेकर देश के भीतर ही आलोचना हो रही थी, वहीं दूसरी ओर उन्होंने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए नए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाने की घोषणा की है। ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी निवेशकों को बड़ी राहत मिली है और शेयर बाजार ने जोरदार उछाल के साथ इसका स्वागत किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ग्लोबल इकॉनमी पहले से ही अस्थिरता के दौर से गुजर रही है और अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी थी। हालांकि यह राहत चीन को नहीं मिली है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव और गहराने की आशंका जताई जा रही है।

अमेरिका के भीतर से मिला विरोध

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर देश के व्यापार संगठनों, उद्योगपतियों और कई सांसदों ने आपत्ति जताई थी। आलोचकों का कहना था कि ये टैरिफ न केवल वैश्विक व्यापार पर असर डाल रहे हैं, बल्कि खुद अमेरिका की आर्थिक स्थिरता को भी नुकसान Read more...

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