पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच आज कतर की राजधानी दोहा में दोनों देशों की उच्चस्तरीय बैठक होने जा रही है। यह वार्ता क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयास का हिस्सा है। लेकिन बैठक से ठीक पहले अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान पर हवाई हमले करने का गंभीर आरोप लगाया है, जिससे वार्ता से पहले ही माहौल तनावपूर्ण हो गया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि अफगानिस्तान को अपने ऊपर हुए हमलों का जवाब देने का अधिकार है। उन्होंने बताया कि जैसा पहले तय हुआ था, आज दोहा में पाकिस्तान के साथ वार्ता होनी है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वार्ता में तालिबान टीम गरिमा बनाए रखने के लिए फिलहाल नई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगी, ताकि शांति स्थापित करने के प्रयासों पर असर न पड़े।
पाकिस्तानी हवाई हमले और अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया
तालिबान के अनुसार, पिछली रात पाकिस्तानी सेना ने पक्तिका प्रांत के नागरिक इलाकों पर हवाई हमले किए, जिनमें कई लोग मारे गए और घायल हुए। तालिबान का कहना है कि यह अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मुजाहिद ने कहा, “पाकिस्तानी कार्रवाई जानबूझकर तनाव बढ़ाने की कोशिश है। इस्लामिक अमीरात को इन हमलों का जवाब देने का अधिकार है, लेकिन हम फिलहाल संयम बरत रहे हैं।” अफगान अधिकारियों ने बताया कि स्पिन बोल्दक और पक्तिका प्रांत में हवाई हमलों के कारण लगभग 20,000 परिवार विस्थापित हो गए हैं। ये लोग अपने घर छोड़कर रेगिस्तानी और अस्थायी क्षेत्रों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं।
नुकसान और हताहतों की संख्या
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के आर्गुन और बर्मल जिलों में किए गए हवाई हमलों में कम से कम 6 लोगों की मौत हुई, जिनमें 2 बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा, 7 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 6 महिलाएं और 1 बच्चा शामिल है। इस हमले ने अफगानिस्तान के नागरिकों में भय और असुरक्षा की स्थिति पैदा कर दी है।
दोहा में वार्ता और पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल
दूसरी ओर, पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल भी दोहा पहुंच चुका है। इसमें रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और खुफिया प्रमुख असीम मलिक शामिल हैं। इस वार्ता का उद्देश्य सीमा पर जारी झड़पों को रोकना और संघर्ष को कम करना बताया गया है। दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर कूटनीतिक स्तर पर उच्च स्तरीय प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि दोहा की वार्ता सीमा पर लगातार बढ़ रहे तनाव और नागरिक हताहतों को रोकने का आखिरी मौका हो सकती है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सैन्य कार्रवाई को सीमित रखते हुए कूटनीतिक समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं।