मुंबई, 17 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पीड़ित के पेरेंट्स को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दे दी। परिवार की मांग है कि, इस मामले में CBI ने सही से जांच नहीं की। याचिका में मुख्य आरोपी संजय रॉय के अलावा अन्य आरोपियों के शामिल होने का पता लगाने के लिए आगे की जांच की मांग की गई। पीड़ित के पिता ने कहा, हमने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके 54 सवाल पूछे हैं। अदालत को उन सवालों के जवाब देने हैं ताकि मेरी बेटी को न्याय मिले। मेरी बेटी के रेप और मर्डर में कई लोग शामिल हैं। और सबूतों से छेड़छाड़ में कई लोग शामिल हैं। पुलिस ने जांच के लिए डॉग स्क्वॉड को बुलाया था, लेकिन हमें अभी तक इसकी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट करुणा नंदी ने पीड़ित पक्ष की ओर से बात रखी, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता CBI की ओर से पेश हुए। 20 जनवरी को सेशंस कोर्ट ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है, इसलिए फांसी की सजा नहीं दे सकते। हालांकि पीड़ित परिवार ने कहा था वे CBI जांच से संतुष्ट नहीं हैं और नए सिरे से जांच चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट्स के वकील को चेतावनी थी दी कि वे कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में दिए गए बयानों को लेकर सतर्क रहें, क्योंकि इस मामले में संजय रॉय को दोषी करार दे दिया गया है।
आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को 10 अगस्त को अरेस्ट किया था। पुलिस को सेमिनार हॉल से एक टूटा हुआ ब्लूटूथ इयरफोन मिला था। ये दोषी के फोन से कनेक्ट हो गया था। संजय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया था। संजय का DNA मौके पर मिले सबूतों से मैच हुआ था। संजय के शरीर पर चोट के जो 5 निशान मिले थे, वे उसे 24 से 48 घंटे के दौरान लगे थे। यह ब्लंट फोर्स इंजरी हो सकती है, जो पीड़ित से अपने बचाव के दौरान हुई होगी। इसी के जरिए पुलिस संजय को पकड़ने में कामयाब रही।
संजय ने 2019 में कोलकाता पुलिस में डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करना शुरू किया था। इसके बाद वेलफेयर सेल में चला गया। अच्छे नेटवर्क की बदौलत उसने कोलकाता पुलिस की चौथी बटालियन में घर ले लिया। इस घर की वजह से आरजी कर अस्पताल में नौकरी मिली। वह अक्सर अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात रहता था। संजय की कई शादियां असफल रहीं। रॉय ने बताया कि वह घटना वाली रात दो बार रेड-लाइट एरिया में गया था। संजय रॉय के अलावा मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी आरोपी बनाया गया, लेकिन CBI 90 दिन के अंदर घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस कारण सियालदह कोर्ट ने 13 दिसंबर को घोष को इस मामले में जमानत दे दी। CBI ने 25 अगस्त को सेंट्रल फोरेंसिक टीम की मदद से कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में संजय समेत 9 आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया था। इनमें आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, ASI अनूप दत्ता, 4 फेलो डॉक्टर, एक वॉलंटियर और 2 गार्ड्स शामिल थे।