प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) देश के लाखों किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है, लेकिन किन परिस्थितियों में फसल का नुकसान कवर होगा और किन पर नहीं, यह सवाल हमेशा किसानों के मन में रहा है। हाल ही में, सरकार ने संसद में इस संबंध में अहम जानकारी देकर कई शंकाओं को दूर किया है।
सरकार ने संसद में स्पष्ट किया है कि PMFBY राज्यों और किसानों दोनों के लिए एक स्वैच्छिक योजना है। यह योजना राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित फसलों और क्षेत्रों में उन प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान पर बीमा सुरक्षा प्रदान करती है, जिन्हें रोका नहीं जा सकता। इसमें मुख्य रूप से सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि और चक्रवात जैसी बड़ी आपदाएँ शामिल हैं। यह कवर बुआई से लेकर कटाई के बाद तक उपलब्ध होता है।
जंगली जानवरों से नुकसान: अब राज्यों के हाथ में फैसला
किसानों की एक बड़ी और लगातार बढ़ती समस्या है जंगली जानवरों द्वारा फसल बर्बादी। अब तक, इसे ऐसे नुकसान के रूप में माना जाता था जिसे रोका जा सकता है, इसलिए इसे PMFBY के मुख्य कवर में शामिल नहीं किया जाता था।
हालाँकि, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और विभिन्न राज्यों के अनुरोध पर, सरकार ने अब एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। राज्यों को यह छूट दी गई है कि वे जंगली जानवरों से हुए नुकसान को व्यक्तिगत स्तर पर आकलन (Individual Assessment) के आधार पर अतिरिक्त कवर (Add-on Cover) के रूप में अधिसूचित कर सकते हैं।
इस नए अतिरिक्त बीमा कवर का पूरा खर्च संबंधित राज्य सरकार को स्वयं उठाना होगा। इस कवर को लागू करने के लिए विस्तृत प्रक्रिया और नियम PMFBY की ऑपरेशनल गाइडलाइंस में स्पष्ट रूप से तय किए गए हैं।
बाढ़ और जलभराव: नियम और शर्तें
PMFBY के तहत जलभराव (Inundation) को एक जोखिम के रूप में सभी अधिसूचित फसलों के लिए शामिल किया गया है।
हालाँकि, कुछ शर्तों के साथ:
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धान, जूट, मेस्ता और गन्ना जैसी पानी पसंद करने वाली (Hydrophilic) फसलों के मामले में, यह जलभराव कवर लोकलाइज्ड क्लेम (Localized Claim) की स्थिति में लागू नहीं होता।
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इसका अर्थ है कि जहाँ खेत में पानी भरना या जमा होना सामान्य माना जाता है, वहाँ हर स्थिति में बीमा दावा नहीं बनेगा, जिससे बीमा के दुरुपयोग को रोका जा सके।
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट
सरकार ने यह भी जानकारी दी कि धान की फसल में जंगली जानवरों के हमले और जलभराव से होने वाले स्थानीय नुकसान को लेकर एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी।
इस समिति ने नुकसान की पहचान के तरीके, आकलन की प्रक्रिया और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) के साथ अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें सौंप दी हैं। इससे भविष्य में ऐसे दावों के निपटारे में अधिक पारदर्शिता और एकरूपता आने की उम्मीद है।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में लिखित उत्तर के माध्यम से दी, जो देश के किसानों के लिए राहत की एक बड़ी खबर है।