रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण युद्ध में हजारों लोग घायल हो चुके हैं। युद्ध का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा, और इसी बीच ब्रिटेन ने यूक्रेन को एक और बड़ी सैन्य सहायता देने की घोषणा की है। इन हालातों के बीच एक बड़ी मानवीय पहल करते हुए ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय के छोटे बेटे प्रिंस हैरी अचानक यूक्रेन पहुंच गए और घायल सैनिकों और आम नागरिकों से मुलाकात की।
प्रिंस हैरी ने पश्चिमी यूक्रेन के लवीव शहर में स्थित ‘सुपरह्यूमन्स सेंटर’ का दौरा किया, जो युद्ध में घायल हुए सैन्यकर्मियों और नागरिकों को चिकित्सीय, मानसिक और पुनर्वास संबंधी सहायता प्रदान करता है। यहां कृत्रिम अंग, ऑर्थोपेडिक सर्जरी और मनोवैज्ञानिक परामर्श जैसी सेवाएं निःशुल्क दी जाती हैं।
क्यों पहुंचे हैरी यूक्रेन?
प्रिंस हैरी की यात्रा का उद्देश्य था यह सुनिश्चित करना कि युद्ध के इस कठिन समय में यूक्रेनी लोगों को जरूरी और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिलती रहें। हालांकि इस यात्रा की जानकारी तब सामने आई जब वे यूक्रेन से रवाना हो चुके थे।
ब्रिटिश सेना में दे चुके हैं सेवाएं
प्रिंस हैरी खुद ब्रिटिश सेना में 10 वर्षों तक सेवा कर चुके हैं। युद्ध और सैनिकों के प्रति उनकी समझ और संवेदनशीलता का ही परिणाम है कि उन्होंने 2014 में ‘इनविक्टस गेम्स’ की शुरुआत की, जो घायल सैनिकों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता है। इन गेम्स के माध्यम से सैनिकों को अपने पुनर्वास की दिशा में आगे बढ़ने का हौसला मिलता है।
यूक्रेन के पूर्व सैनिक मामलों की मंत्री से मुलाकात
अपनी यूक्रेन यात्रा के दौरान हैरी ने यूक्रेन की पूर्व सैनिक मामलों की मंत्री नतालिया कलमीकोवा से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच युद्ध प्रभावित सैनिकों के पुनर्वास और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं पर गहन चर्चा हुई।
शाही परिवार के दूसरे सदस्य बने हैरी
हैरी यूक्रेन की यात्रा करने वाले ब्रिटिश शाही परिवार के दूसरे सदस्य हैं। इससे पहले डचेस ऑफ एडिनबर्ग, सोफी ने 2024 में कीव की यात्रा की थी और युद्ध से प्रभावित बच्चों और महिलाओं से मुलाकात की थी। हैरी की इस यात्रा को लेकर यूक्रेनी प्रशासन और स्थानीय लोगों ने गहरी सराहना व्यक्त की है।
यह यात्रा न सिर्फ एक शाही सदस्य की संवेदनशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि युद्ध के समय मानवीय प्रयास कितने आवश्यक हैं। प्रिंस हैरी की मौजूदगी ने यूक्रेनी घायलों को मानसिक संबल प्रदान किया और यह संदेश दिया कि वे अकेले नहीं हैं।