पाकिस्तान ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सऊदी अरब में रह रहे लगभग 2.5 लाख रोहिंग्या समुदाय के लोगों को कानूनी स्टेटस देने की घोषणा की है। इस एक घोषणा के साथ, पाकिस्तान में रोहिंग्या समुदाय की आबादी में रातों-रात 2.5 लाख की वृद्धि हो गई है।
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसीन नकवी ने सऊदी अरब के दूत के साथ बातचीत के दौरान यह घोषणा की। उनका कहना है कि इस फैसले से सालों पुराने विवाद को एक ही झटके में खत्म कर दिया गया है और अब सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के संबंध और ज्यादा प्रगाढ़ होंगे। जल्द ही इस संबंध में एक लिखित समझौता किए जाने की उम्मीद है।
दशकों पुराना रोहिंग्या विवाद
रोहिंग्या मुद्दा पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच पिछले 13 सालों से तकरार की मुख्य वजह बना हुआ था।
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मूल स्थिति: म्यांमार और बांग्लादेश के बाद, पाकिस्तान में पहले से ही करीब 4 लाख रोहिंग्या रहते हैं। 1960 के दशक में, बड़ी संख्या में रोहिंग्या पाकिस्तान से सऊदी अरब की ओर पलायन कर गए थे।
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पाकिस्तानी पासपोर्ट: सऊदी अरब ने इन रोहिंग्याओं को पाकिस्तानी पासपोर्ट के आधार पर अपने यहाँ रहने की अनुमति दी थी।
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2012 का बदलाव: 2012 तक, पाकिस्तान नियमित रूप से इन रोहिंग्याओं के पासपोर्ट का नवीनीकरण (Renew) करता रहा। हालांकि, बाद में पाकिस्तान सरकार ने नागरिकता का हवाला देते हुए नवीनीकरण रोक दिया।
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विवाद की जड़: पाकिस्तान सरकार ने तर्क दिया कि जो रोहिंग्या 1960 में पाकिस्तान से गए थे, उन्हें अब सऊदी अरब की ही नागरिकता ले लेनी चाहिए। सऊदी अरब ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे रोहिंग्याओं को नागरिकता नहीं दे सकते। उसने पाकिस्तान से या तो इन लोगों को वापस लेने या फिर से उनके पासपोर्ट रिन्यू करने की मांग की थी।
अब, पाकिस्तान ने अपनी "गलती मानते हुए" 2.5 लाख रोहिंग्याओं को कानूनी दर्जा देने का फैसला किया है, जिससे देश के नागरिकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
रोहिंग्या कौन हैं और क्यों हैं विवादास्पद?
रोहिंग्या मूल रूप से म्यांमार के अराकान (वर्तमान रखाइन) के रहने वाले हैं। म्यांमार की सरकार उन्हें वहाँ का मूल निवासी नहीं मानती।
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ऐतिहासिक पलायन: 19वीं शताब्दी के आसपास, काम की तलाश में रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरफ पलायन शुरू कर दिया।
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शरणार्थी संकट: इनमें से अधिकांश लोग आज भी शरणार्थी के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, वर्तमान में 12 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी हैं।
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वितरण: म्यांमार के बाद, सबसे बड़ी रोहिंग्या आबादी बांग्लादेश और पाकिस्तान में है। नौकरी की तलाश में कई रोहिंग्या अरब देशों की ओर भी चले गए थे।
रोहिंग्या समुदाय को लेकर दुनियाभर में एक संकट इसलिए है, क्योंकि हाल के दिनों में कोई भी देश उन्हें अपने यहाँ नागरिकता या कानूनी दर्जा देने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान का यह नया कदम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी कूटनीतिक और मानवीय पहल माना जा रहा है, हालांकि इसके घरेलू राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव देखना बाकी है।