पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर भारत और अफगानिस्तान दोनों को लक्ष्य बनाते हुए भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि उनका देश टू-फ्रंट वॉर (दो मोर्चों पर युद्ध) के लिए पूरी तरह से तैयार है। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान की सेना पूर्वी सीमा पर भारत से और पश्चिमी सीमा पर अफगानिस्तान से एक साथ युद्ध करने के लिए सज्ज है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान खुद अपनी पश्चिमी सीमा पर आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, खासकर इस्लामाबाद में हाल ही में हुए आत्मघाती विस्फोट के बाद।
आंतरिक संकट और अफगानिस्तान से तनाव
ख्वाजा आसिफ का यह बयान इस्लामाबाद में हुए आत्मघाती विस्फोट के कुछ ही दिनों बाद आया है, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने ली है।
इस हमले ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है। इस्लामाबाद लगातार काबुल पर TTP आतंकवादियों को अपनी धरती पर पनाह देने का आरोप लगा रहा है, जबकि अफगानिस्तान इन आरोपों से लगातार इनकार करता रहा है। पाकिस्तान की यह धमकी उसकी अपनी सुरक्षा एजेंसियों की आंतरिक मोर्चे पर बढ़ती विफलता को छुपाने का प्रयास मानी जा रही है।
भारत पर बेतुका आरोप और दिल्ली ब्लास्ट पर टिप्पणी
एक तरफ अफगानिस्तान के साथ सैन्य टकराव की धमकी, तो दूसरी ओर ख्वाजा आसिफ ने दिल्ली में हुए एक ब्लास्ट की घटना पर भी बेतुकी टिप्पणी की है। उन्होंने दिल्ली ब्लास्ट को सिर्फ 'गैस सिलेंडर विस्फोट' बताया था।
ख्वाजा आसिफ ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस घटना का 'राजनीतिक फायदा उठाने' की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सीमाओं पर किसी भी आतंकी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
geopolitics में पाकिस्तान का दाँव
रक्षा मंत्री का यह बयान एक ऐसे देश की हताशा को दर्शाता है जो अपनी अर्थव्यवस्था और आंतरिक आतंकवाद से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 'टू-फ्रंट वॉर' की धमकी देकर पाकिस्तान अपनी सेना को दोनों सीमाओं पर सक्रिय दिखाने की कोशिश कर रहा है, जबकि उसकी मुख्य चुनौती अब TTP और उसके सहयोगी समूह बन गए हैं। इस तरह के भड़काऊ बयान राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने और जनता का ध्यान आंतरिक विफलताओं से भटकाने का एक राजनीतिक दाँव हो सकते हैं।
यह बयान न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ाएगा, बल्कि अफगानिस्तान के साथ उसके पहले से ही जटिल रिश्तों को और खराब कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा होगा।