पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और राजनीतिक खींचतान का सबसे बड़ा फायदा ईरान को हो रहा है। सीमा विवाद, दवाइयों की सप्लाई पर प्रतिबंध और बदलती ट्रांजिट पॉलिसी के कारण अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर गहरा असर पड़ा है, जिसके चलते काबुल अब तेजी से ईरान और सेंट्रल एशिया की ओर झुक रहा है। इस बदलाव के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर दशकों पुराना आर्थिक दबदबा कमजोर हो रहा है, जबकि ईरान का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।
ईरान-अफगानिस्तान व्यापार में उछाल
दोनों देशों के बीच बदलती व्यापारिक गतिशीलता चौंकाने वाली है। पिछले छह महीनों के आँकड़ों के अनुसार:
यह पहली बार है जब ईरान के साथ अफगानिस्तान का व्यापार पाकिस्तान की तुलना में काफी ज्यादा हो गया है। अफगानिस्तान अब पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए चाबहार पोर्ट और ईरानी ट्रांजिट रूट्स का इस्तेमाल कर रहा है। तालिबान के उद्योग व व्यापार मंत्रालय के प्रवक्ता अखुंदजादा ने स्पष्ट कहा है कि, "अगर पाकिस्तान सीमा बंद भी कर दे, तो चाबहार के जरिए हमारा व्यापार रुकता नहीं है।"
पाकिस्तान पर आर्थिक हथियार इस्तेमाल करने का आरोप
तालिबान के उप-प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर ने पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह आर्थिक और मानवीय मामलों को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। इसके चलते, तालिबान ने अफगान व्यापारियों को पाकिस्तान के साथ अपने सभी कॉन्ट्रैक्ट तीन महीने में निपटाने का अल्टीमेटम दिया है।
इस अल्टीमेटम का सबसे गहरा असर दवाइयों के व्यापार पर पड़ रहा है। ऐतिहासिक रूप से, पाकिस्तान से आने वाली दवाइयाँ सस्ती, आसानी से उपलब्ध और जल्दी पहुँचने वाली रही हैं। इस सप्लाई चेन में रुकावट आने से अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है।
विकल्पों की तलाश और चुनौतियाँ
पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने के लिए, तालिबान अब भारत, तुर्की, ईरान और मध्य एशिया से दवाइयाँ मंगाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, इस बदलाव में कुछ बड़ी चुनौतियाँ भी हैं:
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नई कंपनियों का रजिस्ट्रेशन: विदेशी कंपनियों की तेज़ रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया।
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दवाइयों की सूची: अप्रूव्ड दवाइयों की लिस्ट बढ़ाना।
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कस्टम की समस्या: तालिबान ने लगभग 300 कंटेनर दवाइयों को कंधार कस्टम में रोक रखा है, जिससे बाजार में दाम बढ़ रहे हैं।
वर्तमान में, ईरान के मेल्क और जाहेदान बॉर्डर पॉइंट अफगान व्यापार के नए महत्वपूर्ण केंद्र बन गए हैं। भले ही पाकिस्तान दावा कर रहा है कि अफगानिस्तान के फैसलों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन हकीकत यह है कि अफगान व्यापार पाकिस्तान से हटकर ईरान और सेंट्रल एशिया के रूट को एक स्थायी विकल्प के रूप में अपना रहा है, जिससे पाकिस्तान को दशकों पुराने व्यापारिक लाभ से हाथ धोना पड़ सकता है।