मुंबई, 06 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उन्होंने स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) यानी वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन का फॉर्म भर लिया है। ममता ने साफ कहा कि यह खबर पूरी तरह झूठी और भ्रामक है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि जब तक बंगाल का हर व्यक्ति SIR फॉर्म नहीं भर देता, तब तक वह भी ऐसा नहीं करेंगी।
तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र जागो बांग्ला समेत कई मीडिया संस्थानों ने दावा किया था कि ममता ने अपने कालीघाट स्थित घर में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से फॉर्म लिया था। ममता ने पोस्ट में बताया कि BLO बुधवार को कालीघाट इलाके में पहुंचे थे और कुछ लोगों को SIR फॉर्म दिए। वे उनके घर के दफ्तर तक आए थे और वहां मतदाताओं की संख्या के बारे में पूछताछ की थी। ममता ने कहा कि यह खबर फैलाना कि उन्होंने खुद बाहर आकर BLO से फॉर्म लिया, पूरी तरह से गलत और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि जब तक बंगाल के हर नागरिक को फॉर्म भरने का मौका नहीं मिलता, वे भी ऐसा नहीं करेंगी। उन्होंने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि यह प्रक्रिया आम लोगों को डराने और वोटर लिस्ट से नाम काटने का तरीका है।
ममता बनर्जी पहले भी SIR प्रक्रिया का विरोध कर चुकी हैं। उन्होंने 4 नवंबर को कोलकाता में 3.8 किलोमीटर लंबा मार्च निकालकर इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस रैली में पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित बड़ी संख्या में टीएमसी कार्यकर्ता मौजूद थे। ममता ने कहा था कि अगर वोटर लिस्ट झूठी है, तो केंद्र की भाजपा सरकार भी झूठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है ताकि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में धांधली की जा सके।
देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हो चुकी है। इसके तहत बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं से जानकारी ले रहे हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक BLO की ट्रेनिंग हुई और यह प्रक्रिया 7 फरवरी तक चलेगी। इस दौरान नए वोटरों के नाम जोड़े जाएंगे और गलतियों को सुधारा जाएगा।
SIR प्रक्रिया में कुल 12 राज्यों के लगभग 51 करोड़ वोटर्स शामिल हैं। इसमें 5.33 लाख BLO और 7 लाख से अधिक BLA (राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि) भाग लेंगे। मतदाताओं को दिए जाने वाले फॉर्म में अपनी जानकारी सत्यापित करनी होती है। अगर किसी का नाम दो जगह है, तो उसे एक स्थान से हटाना होता है। वहीं जिनका नाम लिस्ट में नहीं है, वे दस्तावेज़ों के साथ नया पंजीकरण करा सकते हैं।
चुनाव आयोग ने कहा है कि इस बार SIR प्रक्रिया का फोकस नागरिकता की जांच पर रहेगा। हालांकि असम में नागरिकता की जांच नहीं की जाएगी क्योंकि वहां नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि असम की परिस्थिति को देखते हुए उसके लिए अलग निर्देश जारी किए जाएंगे।