नई दिल्ली: भारत के न्यायिक इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना होने जा रही है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेने वाले हैं, उनका शपथ ग्रहण समारोह पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती न्यायिक प्रतिष्ठा का गवाह बनेगा। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत राष्ट्रपति भवन में औपचारिक रूप से पद की शपथ लेंगे। यह समारोह इसलिए बेहद खास है क्योंकि इसमें छह देशों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों का एक विशेष अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल शामिल होने जा रहा है। भारत में किसी भी मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों की ऐसी भागीदारी पहली बार हो रही है।
6 देशों का प्रतिनिधिमंडल: न्यायिक सहयोग का प्रतीक
कानूनी समाचार आउटलेट 'बार एंड बेंच' की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस विशिष्ट शपथ ग्रहण समारोह में भूटान से लेकर श्रीलंका तक 6 देशों के एक दर्जन से अधिक न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश मौजूद रहेंगे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले विदेशी प्रतिनिधिमंडल में निम्नलिखित देशों के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं:
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भूटान
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केन्या
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मलेशिया
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मॉरीशस
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नेपाल
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श्रीलंका
यह भागीदारी न केवल न्यायमूर्ति सूर्यकांत के व्यक्तिगत कद को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय न्यायपालिका और इन देशों की न्याय प्रणालियों के बीच गहरे होते संबंधों और न्यायिक सहयोग का भी प्रतीक है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक बिरादरी में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की बढ़ती प्रमुखता और सम्मान को इस आयोजन के माध्यम से स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। कानूनी जगत में उनकी एक लंबी और प्रतिष्ठित यात्रा रही है। वह अपने प्रगतिशील दृष्टिकोण और कई महत्वपूर्ण संवैधानिक और कानूनी मामलों में दिए गए फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद पर उनकी असाधारण योग्यता और अनुभव को मान्यता देती है। सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण समय होगा, जिसमें कई जटिल संवैधानिक और सामाजिक-कानूनी मुद्दे उनके समक्ष आएंगे। अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधीशों की उपस्थिति में उनका शपथ ग्रहण, भारतीय न्यायपालिका के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है, जहां वैश्विक न्यायिक आदान-प्रदान और सहयोग पर अधिक जोर दिया जा सकता है।
भारत की न्यायिक शक्ति का प्रदर्शन
यह विशेष आयोजन भारत के राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया जाएगा, जो देश की लोकतांत्रिक और संवैधानिक परंपराओं का केंद्र है। विदेशी न्यायाधीशों की उपस्थिति में होने वाला यह शपथ ग्रहण समारोह भारत को वैश्विक न्यायिक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिखाता है कि कैसे भारत की न्यायपालिका अब केवल घरेलू मामलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक कानूनी बिरादरी के लिए भी प्रेरणा और सहयोग का स्रोत बन रही है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का शपथ ग्रहण समारोह भारत और मित्र राष्ट्रों के बीच न्यायपालिका-स्तर पर बढ़ते सामंजस्य का एक ऐतिहासिक क्षण होगा।