रंगभरी एकादशी को आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। वहीं काशी में रंगभरी एकादशी से होली की शुरुआत होती है और भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है. रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी के महत्व पर एक नज़र डालें और इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए उपाय करें। रंगभरी एकादशी और महादेव: माता पार्वती, भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह एक विशेष दिन है। इस दिन यदि कुछ उपाय किए जाएं तो आर्थिक तंगी, रिश्तों में परेशानी और जीवन में प्रगति में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। ग्रह दशा के लिए: रंगभरी एकादशी के दिन महादेव की पूजा करके 21 बेलपत्र पर सफेद चंदन का लेप चढ़ाएं और गुलाल-अबीर चढ़ाकर शिव चालीसा का पाठ करने से ग्रह दशा संबंधी समस्या से निजात मिलती है.
सौभाग्य के लिए : रंगभरी एकादशी का व्रत रखें और आंवले के पेड़ की पूजा करें। फिर 9 परिक्रमा करके गुलाल चढ़ाएं। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें और आंवले का दान करें। हर काम में आपका भाग्य आपका साथ देगा और तेजी से तरक्की हासिल होगी।
आर्थिक परेशानी दूर करने के लिए : रंगभरी एकादशी के दिन पीपल, गुलाल और सफेद मिठाई में दूध और जल चढ़ाएं। फिर धूप जलाएं और 11 परिक्रमा करें। शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे देशी घी के 5 दीपक जलाएं। देवी-देवताओं के आशीर्वाद से सभी आर्थिक समस्याएं दूर होंगी।
धन के लिए : रंगभरी एकादशी पर भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से अपार धन की प्राप्ति होती है। आंवला का भोग लगाना न भूलें। इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, आंवला आदि का दान करें। शाम के समय भगवान श्री विष्णु, माता लक्ष्मी के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और उसमें थोड़ी सी केसर डाल दें।