म्यांमार और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में शुक्रवार को आए विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई। इस भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई, जिसका केंद्र म्यांमार में था। भूकंप के झटके भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश, चीन और वियतनाम तक महसूस किए गए। इस त्रासदी को देखते हुए थाईलैंड के प्रधानमंत्री पिथोंगथरुन शिनावात्रा ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।
चीन और रूस ने भेजे बचाव दल
भूकंप के कारण म्यांमार में बड़े पैमाने पर जान-माल की क्षति हुई। चीन और रूस ने म्यांमार में राहत और बचाव कार्यों के लिए अपने दल भेजे हैं। शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, चीन के युन्नान प्रांत से 37 सदस्यीय बचाव दल शनिवार सुबह यांगून पहुंचा। यह दल जीवन डिटेक्टर, भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली और ड्रोन जैसे आधुनिक उपकरणों से लैस है। रूसी आपातकालीन मंत्रालय ने भी मदद के लिए 120 बचावकर्मियों और राहत सामग्री के साथ दो विमान भेजे। ये विमान मास्को के ज़ुकोवस्की हवाई अड्डे से म्यांमार के लिए रवाना हुए। रूस और चीन के संयुक्त प्रयासों से प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से राहत कार्य किए जा रहे हैं।
जापानी प्रधानमंत्री ने संवेदना व्यक्त की
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने इस भीषण भूकंप पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने अपने संदेश में कहा, "मध्य म्यांमार में भूकंप से हुई क्षति के बारे में सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है। मैं प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूँ और शीघ्र पुनर्निर्माण की आशा करता हूँ।" इशिबा ने म्यांमार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया और कहा कि जापान इस कठिन समय में म्यांमार के साथ खड़ा है।
चीन ने मानवीय सहायता देने का वादा किया
चीन ने घोषणा की है कि वह म्यांमार को मानवीय सहायता प्रदान करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन अपने पड़ोसी देश को हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार है। उन्होंने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि चीन इस संकट की घड़ी में म्यांमार के साथ खड़ा है।चीन ने आपातकालीन मानवीय सहायता और बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए राहत सामग्री भेजने की भी योजना बनाई है।
अमेरिका भी मदद को आगे आया
दक्षिण पूर्व एशिया में आई इस आपदा के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने म्यांमार और थाईलैंड को सहायता देने का वादा किया। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) और विदेश विभाग इस आपदा से निपटने में म्यांमार को हरसंभव सहायता प्रदान करेंगे। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बताया कि अमेरिका राहत कार्यों में अपनी भूमिका तय करने के लिए म्यांमार सरकार से संपर्क कर रहा है।
भारत ने भेजी 15 टन राहत सामग्री
भारत ने भी म्यांमार को राहत सामग्री भेजने में तत्परता दिखाई। शनिवार सुबह भारतीय वायुसेना का एक सैन्य परिवहन विमान 15 टन राहत सामग्री लेकर हिंडन एयर फोर्स स्टेशन से म्यांमार के लिए रवाना हुआ। इसमें टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, सौर लैंप, जनरेटर सेट और दवाइयाँ शामिल थीं। भारत सरकार ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर और अधिक सहायता भेजी जाएगी।
म्यांमार में देर रात फिर महसूस किए गए झटके
शुक्रवार देर रात 12 बजे 7.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे व्यापक विनाश हुआ। इसके बाद दिनभर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रात 11:56 बजे दूसरा भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 4.2 थी। इस आपदा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों लोग बेघर हो गए हैं और कई ऐतिहासिक इमारतें, पुल, मठ, मस्जिदें और घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
वैश्विक समुदाय की त्वरित प्रतिक्रिया
इस त्रासदी के बाद वैश्विक समुदाय तेजी से राहत कार्यों में जुटा है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी म्यांमार को मदद देने के लिए आगे आए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस आपदा से उबरने में म्यांमार को महीनों या वर्षों तक का समय लग सकता है। भूकंप के कारण प्रभावित इलाकों में संचार और परिवहन व्यवस्था ठप हो गई है, जिससे राहत कार्यों में कठिनाई हो रही है।
निष्कर्ष
म्यांमार और थाईलैंड में आए इस भूकंप ने व्यापक तबाही मचाई है। कई देशों ने म्यांमार को राहत सामग्री और बचाव दल भेजे हैं। भारत, चीन, रूस, जापान और अमेरिका ने मानवीय सहायता का आश्वासन दिया है। इस भूकंप ने एक बार फिर यह याद दिलाया कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी विनाशकारी हो सकती हैं और उनसे निपटने के लिए वैश्विक सहयोग कितना महत्वपूर्ण है।