प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच देशों की महत्वपूर्ण अफ्रीकी यात्रा के पहले पड़ाव पर पश्चिम अफ्रीकी देश घाना में हैं। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया, जिसमें घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने एयरपोर्ट पर मोदी जी का अभिनंदन किया। प्रधानमंत्री मोदी को घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से नवाजा गया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ताना रिश्तों और सहयोग का प्रतीक है। इस दौरान भारत और घाना के बीच चार महत्वपूर्ण समझौते भी हुए, जो द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
घाना में सोने का मूल्य और भारत के लिए इसका महत्व
भारत ने सितंबर 2024 तक घाना से अपनी कुल सोने की जरूरत का लगभग 70 प्रतिशत आयात किया था। इससे स्पष्ट होता है कि घाना भारत के लिए सोने का एक प्रमुख स्रोत है। लेकिन भारत और घाना में सोने के दाम और मापन के तरीके में अंतर है। भारत में सोने को आमतौर पर ‘तौला’ के हिसाब से मापा जाता है, जिसमें एक तौला लगभग 12 ग्राम के बराबर होता है, जबकि दाम ज्यादातर 10 ग्राम के आधार पर बताये जाते हैं।
वहीं घाना में सोने को ‘ब्लेड’ में मापा जाता है, जो लगभग 10 ग्राम के बराबर होता है। वर्तमान बाजार में घाना में एक ब्लेड सोने की कीमत लगभग 650 अमेरिकी डॉलर (लगभग 55,670 रुपये) है। भारत में सोने की कीमतें घाना की तुलना में अधिक हैं, जो आयात शुल्क, कर, विनिमय दर और स्थानीय बाजार की स्थितियों के कारण होता है। यही चार कारक हर देश में सोने की कीमतों को प्रभावित करते हैं।
भारत में सोने की महंगाई के पीछे क्या वजहें हैं?
भारत में सोने पर आयात शुल्क और कर अधिक होते हैं, जिससे सोने की कीमतें अन्य देशों की तुलना में ज्यादा रहती हैं। कई देशों में या तो आयात शुल्क कम होता है या सोने पर कोई कर नहीं लगता, जिससे वहां सोने की कीमतें अपेक्षाकृत कम होती हैं। इसके अलावा भारत की स्थानीय मांग, सोने की शुद्धता और स्टॉकिंग खर्च भी दाम बढ़ाने में योगदान देते हैं।
घाना और भारत के बीच पारंपरिक और आर्थिक संबंध लंबे समय से चले आ रहे हैं। भारत अफ्रीकी बाजार को तेजी से उभरते हुए अवसर के रूप में देखता है, वहीं घाना अपनी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संसाधनों और अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास के कारण निवेश के लिए आकर्षक जगह बनता जा रहा है।
भारत और घाना के बीच द्विपक्षीय व्यापार
भारत और घाना के बीच वर्तमान में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार होता है। भारत घाना को दवाइयां, कृषि उपकरण, वाहन, स्टील, शराब, अनाज, कपड़े आदि निर्यात करता है। वहीं, भारत घाना से मुख्य रूप से सोना, कोको, लकड़ी, मैंगनीज, अयस्क, काजू जैसे प्राकृतिक और कृषि उत्पाद आयात करता है।
यह व्यापार न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच सामरिक और सामाजिक संबंध भी मजबूत होते हैं। भारत की यह पहल पश्चिम अफ्रीका में अपने प्रभाव को बढ़ाने और क्षेत्रीय विकास में योगदान देने की रणनीति का हिस्सा है।
घाना की सांस्कृतिक और पर्यटन संपदा
घाना प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहरों से भरपूर देश है। यहां केप कोस्ट और एल्मिना जैसे किले विश्व धरोहर स्थल हैं, जो इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा काकुम राष्ट्रीय उद्यान, क्वामे नक्रूमा मेमोरियल पार्क और विभिन्न सांस्कृतिक उत्सव घाना की पहचान हैं।
घाना की संस्कृति, लोक संगीत, नृत्य और कला विश्व प्रसिद्ध हैं। देश की विविध जनजातियां अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और त्योहारों के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखती हैं, जो पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार साबित होता है।
प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी के नए द्वार खोलने का अवसर है। यात्रा के दौरान हुए समझौते स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, डिजिटल तकनीक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देंगे। मोदी की यात्रा अफ्रीका में भारत की रणनीतिक महत्वाकांक्षा को दर्शाती है, जहां भारत विकासशील देशों के साथ मिलकर साझा प्रगति के लिए काम कर रहा है।
घाना में मोदी का स्वागत और सम्मान द्विपक्षीय संबंधों की गहराई को दर्शाता है और भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक एवं रणनीतिक सहयोग के लिए नए अवसर बनाता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घाना यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, बल्कि यह भारत के लिए अफ्रीकी बाजार में अपनी मौजूदगी और प्रभाव को मजबूत करने का भी संकेत है। सोने के व्यापार से लेकर सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक, घाना और भारत के रिश्ते हर स्तर पर फल-फूल रहे हैं।
भारत और घाना की यह साझेदारी भविष्य में और गहरी होगी, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को लाभ मिलेगा और क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी। इस तरह की यात्रा वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा और सामरिक महत्व को भी रेखांकित करती है।