अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में मंगलवार को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की अहम बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने इशारों-इशारों में पाकिस्तान पर कड़ा हमला करते हुए कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा का पूरा अधिकार है और इस अधिकार का प्रयोग पहले भी किया गया है। जयशंकर ने उम्मीद जताई कि क्वाड के अन्य सदस्य देश भी भारत की इस स्थिति को समझेंगे और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करेंगे।
आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की आवश्यकता
डॉ. एस जयशंकर ने बैठक में आतंकवाद के विरुद्ध सख्त नीति अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी होगी, तभी आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है। उन्होंने पीड़ितों और अपराधियों के बीच स्पष्ट अंतर रखने पर बल दिया। उनका कहना था कि पीड़ित हमेशा असहाय होता है जबकि अपराधी शक्तिशाली। अतः सभी को पीड़ितों के साथ सहानुभूति और सहायता करनी चाहिए ताकि आतंकवाद के विरुद्ध प्रभावी लड़ाई लड़ी जा सके।
विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन
विदेश मंत्री जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए सही निर्णय लेने पर भी ज़ोर दिया। उनका मानना है कि इस क्षेत्र के सभी देशों को विकास और सुरक्षा दोनों का संतुलित और सही प्रबंधन करना होगा ताकि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे। क्वाड की बैठक में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मौजूद थे, जो इस क्षेत्र की सुरक्षा और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर रहे थे।
चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बात
बैठक के दौरान चीन के संबंध में एक सवाल के जवाब में डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत चीन का सबसे बड़ा पड़ोसी देश है और दोनों के बीच सीमा साझा होती है। भारत चीन के साथ संवाद और संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है, लेकिन साथ ही यह भी माना जाता है कि व्यापार और अन्य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संतुलन नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापार संतुलन सुधारने के लिए चीन को पहल करनी होगी।
यह स्पष्ट है कि भारत चीन के साथ शांति और सहयोग चाहता है, लेकिन सीमा विवाद और व्यापार असंतुलन जैसी चुनौतियों को भी गंभीरता से देखा जा रहा है।
अमेरिका और चीन के दृष्टिकोण में अंतर
डॉ. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका और चीन एक-दूसरे के लिए पूरी तरह से अलग सोच रखते हैं और दोनों देशों ने अपनी-अपनी रणनीतियों के आधार पर एक-दूसरे को देखा है। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि ये दोनों देश अपनी-अपनी रणनीतियों को लेकर गंभीर हैं, जिससे विश्व राजनीति और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है।
यह स्थिति क्वाड जैसे समूहों की अहमियत को और बढ़ा देती है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सामूहिक सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
क्वाड की भूमिका और महत्व
क्वाड, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, एक सामरिक और आर्थिक सहयोग मंच के रूप में उभर रहा है। इन देशों का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना और आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में सामूहिक रणनीतियाँ बनाना है।
डॉ. जयशंकर के बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत क्वाड की भूमिका को गंभीरता से ले रहा है और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए सभी पार्टनरों के साथ मिलकर काम करना चाहता है।
निष्कर्ष
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया अपनाएगा और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। साथ ही, भारत चीन के साथ संतुलित और संवादपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है, लेकिन सीमा और व्यापार से जुड़े मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाएगा।
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और अलग-अलग दृष्टिकोण के बीच भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए क्वाड का सक्रिय हिस्सा बनने की योजना पर काम कर रहा है।
यह बैठक इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक मंच पर न केवल अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को भी बढ़ावा दे रहा है।