मुंबई, 24 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ NDTV इंडिया के संविधान 75 कॉन्क्लेव में पहुंचे थे, जहाँ उनसे पूछा गया कि क्या वे कभी राजनीति में आएंगे। उन्होंने कहा, वे 65 साल की उम्र के बाद ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे उनके काम और न्यायिक प्रणाली की ईमानदारी पर संदेह पैदा हो। उनसे सवाल किया गया कि क्या रिटायरमेंट के बाद जजों को राजनीति में आना चाहिए। इसके जवाब में उन्होंने कहा- संविधान या कानून में ऐसा करने पर कोई रोक नहीं है। हमारा समाज पूर्व जजों को कानून के संरक्षक के रूप में देखता है। उनकी लाइफ स्टाइल समाज के कानूनी सिस्टम के मुताबिक होनी चाहिए।
पूर्व CJI ने कहा, जजों को ट्रोलिंग से बहुत सावधान रहना होगा। ट्रोलर्स कोर्ट के फैसलों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में कानूनों की वैधता तय करने की पावर कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट को सौंपी गई है। पावर के सेपरेशन में नियम हैं। जैसे कानून बनाने का काम विधायिका करेगी, कानून का क्रियान्वयन कार्यपालिका करेगी और ज्यूडिशियरी कानून की व्याख्या और विवादों का फैसला करेगी। हालांकि कई बार ये तनावपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में नीति निर्माण का काम सरकार को सौंपा जाता है। जब मौलिक अधिकारों की बात आती है तो संविधान के तहत कोर्ट का कर्तव्य है कि वे हस्तक्षेप करें। नीति निर्माण विधायिका का काम है, लेकिन इसकी वैधता तय करना कोर्ट का काम और जिम्मेदारी है। उन्होंने आगे कहा, किसी मामले में खास रुचि रखने वाले स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप, प्रेशर ग्रुप उस मामले के रिजल्ट को सोशल मीडिया के जरिए प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। जजों को इनसे सावधान रहने की जरूरत है। आजकल लोग यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखे 20 सेकेंड के वीडियो के आधार पर राय बना लेते हैं। ये बहुत बड़ा खतरा है। प्रत्येक नागरिक को ये समझने का अधिकार है कि किसी फैसले का आधार क्या है और कोर्ट के फैसलों पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन जब ये अदालत के फैसलों से आगे निकल जाता है और जजों को व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाता है तो ये एक तरह से बुनियादी सवाल उठाता है, क्या ये वास्तव में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?
पूर्व CJI ने कहा, हर कोई यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो कुछ भी देखता है, उसके 20 सेकेंड में अपनी राय बनाना चाहता है। ये गंभीर खतरा है। क्योंकि कोर्ट में निर्णय लेने की प्रक्रिया कहीं अधिक गंभीर है। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया पर किसी के पास इसे समझने के लिए धैर्य नहीं है और ये एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। भारतीय न्यायपालिका इसका सामना कर रही है। आपको बता दें, डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें सीजेआई थे। वे 10 नवंबर को रिटायर हुए थे। 11 नवंबर को जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के 51वें सीजेआई के रूप में शपथ ली थी। डीवाई चंद्रचूड़ ने 8 नवंबर को अपने विदाई समारोह में कहा था, मैं दिल से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को धन्यवाद देना चाहता हूं। मेरी मां ने मुझे बचपन में कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है, लेकिन तुम्हारे 'धनंजय' का 'धन' भौतिक संपत्ति नहीं है। मैं चाहती हूं कि तुम ज्ञान अर्जित करो।