मुंबई, 06 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली हाईकोर्ट ने उन नीतियों पर सवाल उठाया है, जिनके तहत महिलाओं को संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) परीक्षा के जरिए भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), नौसेना अकादमी (INA) और वायुसेना अकादमी (AFA) में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती। अदालत ने इस मामले को गंभीर बताते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अगुआई वाली बेंच ने बुधवार को कहा कि महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी नियुक्ति नहीं मिल रही है और इस पर केंद्र को अपना पक्ष रखना होगा। अगली सुनवाई नवंबर 2025 में होगी। यह याचिका वकील कुश कालरा द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा 28 मई 2025 को जारी CDS-II परीक्षा के विज्ञापन में महिलाओं को केवल ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई में आवेदन की अनुमति दी गई है जबकि अन्य तीन अकादमियों में केवल पुरुष उम्मीदवारों को प्रवेश दिया गया है। IMA, INA और AFA से पास होने वाले अधिकारियों को परमानेंट कमीशन यानी स्थायी नियुक्ति दी जाती है, जबकि OTA से चयनित अफसरों को शॉर्ट सर्विस कमीशन मिलता है जो कि 10 वर्षों के लिए होता है और आवश्यकता पड़ने पर चार वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा IMA, INA और AFA में लगभग 18 महीने की ट्रेनिंग होती है, जबकि OTA की ट्रेनिंग अवधि केवल 49 हफ्ते की होती है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि महिलाओं को CDS के माध्यम से IMA, INA और AFA में प्रवेश न देना संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 19(1)(g) का उल्लंघन है, जो समानता, सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर और इच्छानुसार पेशा चुनने का अधिकार प्रदान करता है। याचिका में 2020 के उस ऐतिहासिक फैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमांड पोस्टिंग का अधिकार दिया था। साथ ही 2021 के उस निर्णय का उल्लेख किया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को NDA परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी। इसके बाद 2021 में 19 महिला उम्मीदवारों को NDA में प्रवेश मिला और IMA से पहली महिला बैच पासआउट भी हुई। याचिका में यह सवाल भी उठाया गया है कि जब सेना में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है और उन्हें कमांड तथा कॉम्बैट भूमिकाएं दी जा रही हैं, तब CDS परीक्षा में उन्हें पूर्ण अवसर से वंचित रखना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। फिलहाल, महिलाओं को केवल OTA में भर्ती होने की अनुमति दी जाती है जबकि IMA और INA जैसे प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों में प्रवेश से उन्हें वंचित रखा गया है। सेना की परंपरागत नीतियों के तहत महिलाओं को अब तक गैर-लड़ाकू भूमिकाओं तक सीमित रखा गया है और उन्हें युद्ध में प्रत्यक्ष भागीदारी की अनुमति नहीं दी गई है।