मुंबई, 06 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मुंबई में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह (महासचिव, दूसरे नंबर के नेता) भैयाजी जोशी ने बीते दिन कहा था कि मुंबई के हर हिस्से की भाषा अलग है। घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है। इसलिए अगर आप मुंबई में रहते हैं, तो यह जरूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी पड़े। हर किसी को मराठी जानना जरूरी नहीं है। इस पर शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे ने जोशी पर देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की मांग की। वहीं, उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा- बाहर से लोग हमारे राज्य में आते हैं और यहां बस जाते हैं। इस भूमि की भाषा मराठी है, जैसे तमिलनाडु में तमिल और कर्नाटक में कन्नड़ है। भाजपा की विचारधारा महाराष्ट्र का अपमान करना है।
वहीं, विवाद बढ़ने पर जोशी ने कहा कि उनकी टिप्पणी का गलत मतलब निकाला गया। महाराष्ट्र की भाषा मराठी है। मुंबई महाराष्ट्र में है और स्वाभाविक रूप से मुंबई की भाषा मराठी है। भारत में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। मुंबई में भी अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि वे यहां आएं और मराठी सीखें, समझें और पढ़ें। वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा इस मुद्दे को लेकर भाजपा और शिवसेना (UBT) के बीच तीखी बहस हुई। इसके चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा, मुंबई, महाराष्ट्र और राज्य सरकार की भाषा मराठी है और यहां रहने वाले लोगों को इसे सीखना चाहिए। मराठी राज्य की संस्कृति और पहचान का हिस्सा है और इसे सीखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
तो वहीं, भैयाजी जोशी ने हमारी मातृभाषा का अपमान किया है। उन्होंने एक स्टेशन का नाम लिया और दावा किया कि इसकी भाषा गुजराती है, लेकिन वह मुंबई को नहीं समझते हैं। जो भी मुंबई आता है और इसे अपनाता है, उसे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ता। पहले वे जाति के नाम पर बांटते थे, फिर धर्म के नाम पर और अब भाषा के नाम पर बांट रहे हैं। हम लगातार देख रहे हैं कि कोश्यारी से लेकर कोरटकर और सोलापुरकर तक सभी महाराष्ट्र, महाराष्ट्र के नायकों और देवताओं का अपमान कर रहे हैं। आज सुरेश भैयाजी जोशी ने मराठी का अपमान किया है। मैं उन्हें तमिलनाडु या गुजरात में ऐसा कुछ कहने की चुनौती देता हूं। वे महाराष्ट्र को विभाजित करना चाहते हैं। यह संघ की सोच है।