मुंबई, 17 जनवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें आम आदमी पार्टी सरकार को आयुष्मान भारत मिशन लागू करने के लिए 5 जनवरी तक केंद्र के साथ MoU साइन करने कहा गया था। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। 24 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के लोगों को सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए योजना को पूरी तरह से लागू करना होगा। दिल्ली सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली सरकार राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू करने को लेकर केंद्र के साथ टकराव में रहा है। केंद्र सरकार इसे 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना देश का सबसे बड़ा घोटाला है। मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी पुष्टि कर दी है।
दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में पूछा कि हाईकोर्ट दिल्ली सरकार को केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए कैसे मजबूर कर सकता है। उन्होंने दलील दी कि अगर MoU साइन हो जाता है तो भारत सरकार पूंजीगत व्यय का 60% और दिल्ली सरकार 40% वहन करेगी, लेकिन केंद्र को 0% चालू व्यय वहन करना होगा। सिंघवी ने दावा किया कि दिल्ली सरकार की अपनी योजना की पहुंच और कवरेज बहुत बड़ी है।
दिल्ली सरकार की तरफ से अधिवक्ता तल्हा अब्दुल रहमान ने याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि आयुष्मान योजना देश के उन क्षेत्रों के लिए ठीक है जहां सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। दिल्ली में पहले से 529 आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं। याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली सरकार ने पहले ही मोहल्ला क्लीनिक, क्रिटिकल केयर सेवाओं (ICU बेड) और डायग्नोस्टिक सेवाओं को बढ़ाने के लिए आयुष्मान योजना के तहत मिलने वाले फंड का उपयोग करने पर सहमति दे दी है। हाईकोर्ट ने इस बात को भी नजरअंदाज किया है।