कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर घमासान लगातार गरमाता जा रहा है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का गुट लगातार नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर अड़ा हुआ है, जबकि विधायक लगातार दिल्ली मार्च कर रहे हैं. इस बीच, सबसे बड़ी खबर यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शिवकुमार को एक संक्षिप्त मैसेज भेजकर कहा है, "आप इंतजार करिए, मैं आपको फोन करूंगा।"
राज्य में लंबे समय से जारी लीडरशिप की खींचतान और 1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसदीय सत्र से पहले कांग्रेस आलाकमान के किसी भी बदलाव पर फैसला लेने की उम्मीद के बीच, राहुल गांधी का यह जवाब राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह मैसेज ऐसे समय में आया है, जब शिवकुमार लगभग एक हफ्ते से राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे.
व्हाट्सएप पर मिला जवाब, 29 को दिल्ली दौरा
पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, डीके शिवकुमार आंतरिक घटनाक्रमों और मुख्यमंत्री पद पर बदलाव की चर्चाओं को लेकर लंबे समय से राहुल गांधी से बात करने का प्रयास कर रहे थे. शिवकुमार की लगातार कोशिशों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने WhatsApp पर यह छोटा, लेकिन निर्णायक मैसेज भेजा: “प्लीज़ इंतजार करिए, मैं आपको कॉल करता हूँ।”
इस सियासी उथल-पुथल के बीच, डीके शिवकुमार स्वयं 29 नवंबर को दिल्ली आने की तैयारी कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया है कि उन्होंने उसी दिन दिल्ली लौट रहीं वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से भी मिलने का समय मांगा है.
दिल्ली में विधायकों का जमावड़ा
नेतृत्व में बदलाव को लेकर पिछले कुछ दिनों में राजनीतिक हलचल बहुत तेज हो गई है. कर्नाटक के विधायकों का दिल्ली आने-जाने का सिलसिला जारी है, जिससे आलाकमान पर दबाव बढ़ता जा रहा है:
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सिद्धारमैया गुट: पिछले हफ्ते, सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले लगभग 10 विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी.
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शिवकुमार गुट: सूत्रों का दावा है कि शिवकुमार गुट के 6 विधायकों का एक दल तीन दिन पहले पार्टी आलाकमान से मिलने दिल्ली आया था. कुछ और विधायकों के भी दिल्ली आने की उम्मीद है.
हालांकि, सिद्धारमैया के गुट की ओर से इस बात से स्पष्ट इनकार किया गया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई फॉर्मल रोटेशनल अरेंजमेंट है. उनका कहना है कि सिद्धारमैया पूरे 5 साल का टर्म पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
सत्ता साझेदारी का अनसुलझा समझौता
कर्नाटक में यह चर्चा इसलिए तेज हुई है क्योंकि पिछले हफ्ते, 20 नवंबर को, सिद्धारमैया सरकार के 5 साल के कार्यकाल के पहले ढाई साल पूरे हो गए.
2023 में जब कांग्रेस राज्य की सत्ता में लौटी थी, तब मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच गहरा संघर्ष हुआ था. लंबी बातचीत के बाद आलाकमान ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगाई थी. हालाँकि, उस समय यह दावा किया गया था कि दोनों नेताओं के बीच 2.5-2.5 साल के लिए सत्ता साझेदारी का एक अनौपचारिक समझौता हुआ है, जिसे कभी भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया.
राहुल गांधी का 'इंतजार' वाला मैसेज अब इस बात का संकेत दे रहा है कि आलाकमान इस मामले पर विचार कर रहा है, लेकिन अंतिम फैसला लेने में अभी समय लग सकता है.