ज्योतिर्लिंग (ज्योति + लिंग) का शाब्दिक अर्थ है "प्रकाश का प्रतीक लिंग"। यह भगवान शिव के पवित्र और दिव्य रूप का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने स्वयं को अग्नि स्तंभ (ज्योति) के रूप में प्रकट किया था। हिंदू धर्म में विशेष महत्व वाले 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जो भारत में विभिन्न तीर्थ स्थलों पर स्थित हैं। तो आज की खबर में हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही हम इनके महत्व और यहां तक कैसे पहुंचा जाए, इसकी भी सारी जानकारी दे रहे हैं। इस महाशिवरात्रि पर आप इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन की योजना बना सकते हैं।
ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति और धार्मिक मान्यता
शिवपुराण के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत ज्योति का रूप धारण किया। उन्होंने दोनों से कहा कि जो इस स्तम्भ का अंत खोज लेगा, उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। भगवान विष्णु वराह का रूप धारण कर नीचे की ओर चले गए, जबकि ब्रह्मा हंस का रूप धारण कर ऊपर की ओर उड़ गए। विष्णु जी ने हार मान ली, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्होंने प्रकाश का अंत देख लिया है। भगवान शिव इस झूठ से क्रोधित हो गये और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी कभी पूजा नहीं की जायेगी। उसी समय भगवान विष्णु की सत्यनिष्ठा और विनम्रता से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें वरदान दिया कि उनकी पूजा सदैव की जाएगी। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का अनंत, असीम और अमर स्वरूप है, जो ब्रह्मांड की अखंड शक्ति और आध्यात्मिक सत्य को दर्शाता है। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और शिव की कृपा प्राप्त होती है।