19 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद के कुछ साधारण पोस्टरों को फाड़ देने की पुलिस की शुरुआती लापरवाही, आज देश के सामने एक विशाल और भयावह 'सफेदपोश आतंकी नेटवर्क' के रहस्योद्घाटन का कारण बन गई है। 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के सामने हुए आत्मघाती कार ब्लास्ट के बाद, सुरक्षा एजेंसियों की जाँच ने ऐसे गहरे षड्यंत्र का पर्दाफाश किया है जिसने राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जांच की कड़ियाँ कश्मीर के छोटे से मौलवी से शुरू होकर, फरीदाबाद की एक यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश के डॉक्टरों और अंततः तुर्किये, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और खाड़ी के देशों तक जा पहुंची हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 150 से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षा एजेंसियों की जाँच के दायरे में हैं।
पोस्टर से शुरू हुई जाँच, खुला बड़ा जाल (19 अक्टूबर – 7 नवंबर)
19 अक्टूबर को नौगाम में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर दिखाई दिए। एसएसपी डॉ. संदीप चक्रवर्ती ने इसे शरारती तत्वों की सामान्य कार्रवाई मानने के बजाय इसमें एक 'खास ट्रेड' पहचान कर जाँच के आदेश दिए।
-
गिरफ्तारी (19 अक्टूबर): सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तीन स्थानीय युवा—आरिफ निसार डार, यासिर उल अशरफ, और महमूद अहमद—को गिरफ्तार किया गया। इनका कोई अलगाववादी इतिहास नहीं था।
-
मौलवी का कनेक्शन: युवाओं से पूछताछ में मौलवी इरफान अहमद (नौगाम मस्जिद में इमाम, मूलतः शोपियां का) का नाम सामने आया, जिसने उन्हें पोस्टर लगाने के लिए उकसाया था। उसका सहयोगी जमीर अहमद अहंगर भी पकड़ा गया।
-
डॉक्टर की एंट्री (7 नवंबर): मौलवी पर सख्ती के बाद एक दाढ़ी वाले व्यक्ति का नाम सामने आया, जिसे पहले मौलवी माना जा रहा था। यह सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर आदिल अहमद राथर निकला। आदिल को 7 नवंबर को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया। वह पहले अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट था और पोस्टर चिपकाने के मामले में वांछित था।
दिल्ली ब्लास्ट और विस्फोटक का जखीरा (8 नवंबर – 10 नवंबर)
डॉ. आदिल की गिरफ्तारी के बाद आतंकी नेटवर्क में डॉक्टरों की भूमिका स्पष्ट होने लगी।
-
AK-47 बरामदगी (8 नवंबर): डॉ. आदिल के अनंतनाग मेडिकल कॉलेज स्थित लॉकर से एक AK-47 राइफल बरामद हुई।
-
विस्फोटक जखीरा (9-10 नवंबर): आदिल से पूछताछ के आधार पर पुलिस फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई तक पहुँची। उसके ठिकाने से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट मिला। अगले दिन (10 नवंबर) एक और ठिकाने से 2563 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट मिला। मुजम्मिल पुलवामा का निवासी था और अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में शिक्षक था।
-
आत्मघाती हमला (10 नवंबर): डॉ. मुजम्मिल से पूछताछ के आधार पर उसका करीबी साथी डॉ. उमर नबी बट का सुराग मिला, जो अल-फलाह में ही कार्यरत था। डॉ. उमर नवी बट ने ही पुलवामा के युवक के नाम खरीदी गई i-20 कार का इस्तेमाल कर लाल किले के पास आत्मघाती हमला किया, जिसमें 12 लोग मारे गए।
-
'द लेडी टेररिस्ट' (10 नवंबर): मुजम्मिल से पूछताछ के आधार पर उसकी महिला मित्र डॉ. शाहीन को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। डॉ. शाहीन पर जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग से संबंधित होने और महिलाओं को संगठन में भर्ती कराने की मुख्य प्रेरक होने का संदेह है। उसकी कार (ब्रेजा) अल-फलाह यूनिवर्सिटी से बरामद हुई, जिसमें राइफल मिली थी।
यूनिवर्सिटी, बैंक और अन्य गिरफ्तारियाँ (11 नवंबर – 13 नवंबर)
आतंकी नेटवर्क में डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, यूनिवर्सिटी शिक्षक और सामान्य युवा शामिल पाए गए।
-
यूनिवर्सिटी और ब्रेन वॉश: अल-फलाह यूनिवर्सिटी से 11 नवंबर को 13 लोग हिरासत में लिए गए, जिनमें तबलीगी जमात के सदस्य भी शामिल थे। डॉ. मुजम्मिल से पूछताछ के आधार पर मौलवी इफ्तियाक को 12 नवंबर को नूंह से गिरफ्तार किया गया। इफ्तियाक अल-फलाह मस्जिद का इमाम था और उस पर छात्रों और डॉक्टरों का ब्रेन वॉश करने का आरोप है।
-
कार खरीद और सहयोग: हमले में इस्तेमाल हुई कार आमिर राशिद मीर (प्लंबर) ने खरीदी थी, जिसमें उसने अपने दोस्त तारिक मलिक (जेके बैंक सुरक्षाकर्मी) के दस्तावेज इस्तेमाल किए थे। तारिक का मोबाइल सिम भी आमिर इस्तेमाल कर रहा था। इन दोनों के अलावा, बिजली विभाग में कर्मचारी उमर राशिद मीर और अल-फलाह में शिक्षक डॉ. सज्जाद अहमद मला को भी हिरासत में लिया गया।
-
अन्य स्वास्थ्यकर्मी गिरफ्तार: 13 नवंबर को डॉ. आदिल और मुजम्मिल के करीबी तीन डॉक्टरों और एक स्वास्थ्यकर्मी को गिरफ्तार किया गया, जिनमें अनंतनाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत डॉ. मोहम्मद मुजफ्फर मीर, निजी चिकित्सक उमर आमिर वानी और स्वास्थ्यकर्मी आकिब मीर शामिल हैं।
-
यूपी कनेक्शन: डॉ. शाहीन (लखनऊ की मूल निवासी) की गिरफ्तारी से उत्तर प्रदेश का कनेक्शन सामने आया। वह प्रयागराज में मेडिकल की पढ़ाई के बाद कानपुर व कन्नौज में तैनात रही थी। उसके भाई डॉ. परवेज और संपर्क में रहे डॉ. फारूख को भी हिरासत में लिया गया।
ग्लोबल नेटवर्क और फरार डॉक्टर
जाँच की सूई अब वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है। पुलिस को डॉ. आदिल के भाई, डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर की तलाश है। राथर पहले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में कार्यरत था और अक्सर तुर्किये आता-जाता रहता था। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि खाड़ी देशों, तुर्किये और अफगानिस्तान तक फैले आतंकी नेटवर्क की कड़ी डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर हो सकता है।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह नेटवर्क सिर्फ दिल्ली या कश्मीर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उच्च शिक्षित, सफेदपोश लोगों का एक ऐसा स्लीपर सेल है जो शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की आड़ में देश के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहा था।