बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए आज लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार मनाया जा रहा है। सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू होने के साथ ही, राज्य में अगली सरकार किसकी होगी, यह जानने के लिए पूरे देश की निगाहें पटना पर टिक गई हैं। शुरुआती रुझानों के अनुसार, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), जिसमें बीजेपी और जेडीयू शामिल हैं, विपक्षी महागठबंधन (MGB) पर मामूली बढ़त बनाता दिख रहा है।
कांटे की टक्कर और रिकॉर्ड तोड़ मतदान
बिहार की 243 सीटों पर बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है। चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार दो चरणों में हुए मतदान में कुल 66.90 प्रतिशत का ऐतिहासिक मतदान दर्ज किया गया है, जो 1951 के बाद का सबसे अधिक मतदान प्रतिशत है। इस रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग ने चुनावी मुकाबले को और भी रोमांचक बना दिया है, क्योंकि दोनों ही गठबंधन—एनडीए और महागठबंधन—रिकॉर्ड मतदान को अपने पक्ष में जनादेश बता रहे हैं। एनडीए इसे सुशासन के समर्थन में बताता है, तो महागठबंधन इसे बदलाव की जन-इच्छा का संकेत मानता है।
78 सीटों पर आए रूझान
बीजेपी- 48
महागठबंधन- 26
जनसुराज- 2
अन्य- 7
मतगणना की शुरुआत पोस्टल बैलेट की गिनती से हुई, जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के मतों की गिनती शुरू हुई। शुरुआती रुझानों में, एनडीए ने महागठबंधन पर बढ़त बनाई है, लेकिन यह मुकाबला इतना कड़ा है कि हर घंटे के साथ तस्वीर बदल सकती है।
मुख्यमंत्री चेहरे और प्रतिष्ठा की सीटें
यह चुनाव दो प्रमुख चेहरों के इर्द-गिर्द लड़ा गया है। एक तरफ, एनडीए ने हालांकि आधिकारिक रूप से सीएम फेस की घोषणा नहीं की, लेकिन पार्टी नेताओं ने साफ कर दिया है कि वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (जेडीयू) ही उनका चेहरा हैं। नीतीश कुमार राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री हैं और यह चुनाव उनका लगातार पाँचवाँ कार्यकाल तय करेगा। दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव (आरजेडी) के नेतृत्व में महागठबंधन ने उन्हें अपना आधिकारिक सीएम चेहरा घोषित किया है, जिससे यह चुनाव 'सुशासन बनाम युवा नेतृत्व' की लड़ाई बन गया है।
शुरुआती रुझानों में, कई हाई-प्रोफाइल सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। राघोपुर सीट से सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि कुछ अन्य महत्वपूर्ण सीटों पर कद्दावर नेता भी आगे-पीछे चल रहे हैं। भाजपा के दिग्गज नेता और महागठबंधन के प्रमुख उम्मीदवार अपनी-अपनी सीटों पर निर्णायक बढ़त हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
एग्जिट पोल और तीसरी शक्ति का प्रभाव
अधिकांश एग्जिट पोल ने एनडीए को बहुमत के करीब या बहुमत के पार दिखाया था, जिसने चुनाव से पहले ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। हालांकि, एग्जिट पोल के आंकड़ों को महागठबंधन ने सिरे से खारिज कर दिया था। इस बार के चुनाव में प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी (JSP) भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है, जिसे कई सीटों पर एक ‘किंगमेकर’ के रूप में देखा जा रहा था। हालांकि, शुरुआती रुझानों में जन सुराज का प्रभाव सीमित दिख रहा है, लेकिन अंतिम परिणाम में छोटे दलों की भूमिका निर्णायक हो सकती है।
राज्य के सभी 38 जिलों में 46 मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जहां 2,616 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला आज शाम तक हो जाएगा। बिहार की जनता ने अपना फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है, अब इंतजार है उस अंतिम आंकड़े का, जो यह तय करेगा कि 'नीतीश राज' जारी रहेगा या 'तेजस्वी युग' की शुरुआत होगी।